19 Gwalior me Ghumne ki Jagah – ग्वालियर  में घूमने की जगह

Gwalior me Ghumne ki Jagah - ग्वालियर  में घूमने की जगह
Gwalior me Ghumne ki Jagah – ग्वालियर में घूमने की जगह

ग्वालियर मध्य प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर है, जो अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर के लिए विख्यात है। इसका स्थान नई दिल्ली से लगभग 319 किलोमीटर दक्षिण में और भोपाल से उत्तर में लगभग 122 किलोमीटर पर है। ग्वालियर की स्थापना 8वीं शताब्दी में सूरज सेन द्वारा की गई थी। यह शहर ग्वालियर किले, जो भारतीय किलों में एक मोती के रूप में जाना जाता है, के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की अन्य महत्वपूर्ण विशेषताएं चतुर्भुज मंदिर में पहली बार लिखित शून्य, तानसेन संगीत महोत्सव, और हॉकी के जादूगर ध्यान चंद का यहाँ से होना शामिल है।

Gwalior me ghumne ki jagah kaunsi hai?

ग्वालियर में घूमने के लिए कई स्थान हैं, जैसे कि तानसेन मकबरा, ग्वालियर का किला, मोती महल, गुजरी महल, जय विलास पैलेस, मान मंदिर पैलेस, ग्वालियर चिड़ियाघर, तेली का मंदिर, सास बहू मंदिर, सूरज कुंडो, सूर्य मंदिर, पड़ावली और बटेश्वर, सिंधिया संग्रहालय, सरोद घर, ग्वालियर व्यापार मेला, पाटनकर बाजारी, रानी लक्ष्मीबाई समाधि, गोपाल पर्वत, और  रूप सिंह स्टेडियम है।

ग्वालियर में घूमने की जगह की व्याख्या नीचे दी गई है।

  • तानसेन मकबरा: यह घूमने की जगह ग्वालियर में एक प्रमुख आकर्षण है जहाँ प्रतिवर्ष तानसेन संगीत समारोह आयोजित किया जाता है। यहां आकर आप भारतीय संगीत की विरासत को महसूस कर सकते हैं।
  • ग्वालियर का किला: ग्वालियर में घूमने वाली जगहों में से एक, यह किला अपने भव्य वास्तुकला और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। यह किला ग्वालियर शहर के मध्य में स्थित है और पर्यटकों को अपनी भव्यता से आकर्षित करता है।
  • मोती महल: ग्वालियर के दर्शनीय स्थलों में शामिल, मोती महल अपनी खूबसूरती और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह महल ग्वालियर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करता है।
  • गुजरी महल: ग्वालियर के यात्री आकर्षण में यह महल एक पुरातत्व संग्रहालय के रूप में कार्य करता है, जहां पर्यटक प्राचीन मूर्तियों और कलाकृतियों को देख सकते हैं। यह स्थान ग्वालियर की विरासत को समझने के लिए आदर्श है।
  • जय विलास पैलेस: यह टूरिस्टिक आकर्षण ग्वालियर में अपनी वास्तुशिल्प भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। पैलेस में एक संग्रहालय भी है जो राजसी विरासत की झलक प्रदान करता है।
  • मान मंदिर पैलेस: ग्वालियर में यह पर्यटन स्थल अपनी अद्भुत वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की सजावट और कलात्मकता पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
  • ग्वालियर चिड़ियाघर: यह घूमने की जगह विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं का घर है और प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता है। यहाँ विशेष रूप से श्वेत बाघ दर्शकों का ध्यान आकर्षित करता है।
  • तेली का मंदिर: ग्वालियर के इस दर्शनीय स्थल में अद्वितीय वास्तुशिल्प और धार्मिक महत्व है। यह मंदिर अपने ऊँचे शिखर और बौद्धिक तत्वों के मिश्रण के लिए जाना जाता है।
  • सास बहू मंदिर: यह अवलोकन स्थल अपनी जटिल नक्काशी और पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है। इसकी कलात्मकता और वास्तुकला पर्यटकों को विस्मित कर देती है।
  • सूरज कुंडो: ग्वालियर में यह टूरिस्ट स्पॉट प्राचीन काल से ही चिकित्सीय महत्व रखता है। इसके जल को चमत्कारिक गुणों का धारक माना जाता है।
  • सूर्य मंदिर: ग्वालियर का यह पर्यटक स्थल अपनी भव्यता और सूर्य देवता को समर्पित होने के नाते विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इसकी संरचना और डिजाइन पर्यटकों को आकर्षित करती है।
  • पड़ावली और बटेश्वर: ग्वालियर के निकट यह टूरिस्टिक आकर्षण अपने ऐतिहासिक मंदिर समूह और खजुराहो की शैली में निर्मित स्थापत्य के लिए जाना जाता है। यहाँ की कला और संरचना भारतीय वास्तुकला की विविधता को दर्शाती है।
  • सिंधिया संग्रहालय: ग्वालियर का यह दर्शनीय स्थल अपने विशाल संग्रह और ऐतिहासिक वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ आकर पर्यटक माराठा शासन की गौरवशाली विरासत को देख सकते हैं।
  • सरोद घर: ग्वालियर में यह टूरिस्ट स्पॉट संगीत प्रेमियों के लिए एक खास जगह है। यह संगीत संग्रहालय भारतीय संगीत इतिहास और विविध वाद्ययंत्रों का प्रदर्शन करता है।
  • ग्वालियर व्यापार मेला: ग्वालियर का यह पर्यटन स्थल हर वर्ष लाखों दर्शकों को आकर्षित करता है। यह मेला विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और शॉपिंग विकल्पों के लिए प्रसिद्ध है।
  • पाटनकर बाजारी: ग्वालियर में यह घूमने की जगह अपनी विविध शॉपिंग और स्थानीय स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए लोकप्रिय है। यहाँ के बाजार में घूमना एक रोमांचक अनुभव होता है।
  • रानी लक्ष्मीबाई समाधि: ग्वालियर के इस घूमने वाली जगह में झांसी की रानी के साहस और योगदान को सम्मानित किया गया है। यह स्थल इतिहास प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण रखता है।
  • गोपाल पर्वत: ग्वालियर का यह पर्यटन आकर्षण अपनी अद्वितीय जैन मूर्तियों और चट्टानी उकेरनों के लिए जाना जाता है। यह स्थान धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटकों को आकर्षित करता है।
  • रूप सिंह स्टेडियम: ग्वालियर में यह खेल स्थल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों का आयोजन करता है। यहाँ के मैच खेल प्रेमियों के लिए उत्साह और उमंग का कारण बनते हैं।

अब हम इन सारी ग्वालियर में घूमने वाली जगहों को विस्तार में जानेंगे।

Contents

1. तानसेन मकबरा (Tansen Makbara) – gwalior me ghumne ki jagah

तानसेन मकबरा ग्वालियर में स्थित घुमने की जगह है, जो भारत के महान संगीतकार और अकबर के दरबार के प्रमुख गायक तानसेन की अंतिम विश्राम स्थली है। यह 16वीं शताब्दी ईस्वी में अकबर के शासनकाल में बनाया गया था। तानसेन, अकबर के दरबार के नौ रत्नों में से एक थे। उनकी गुरु, सूफी संत मोहम्मद घौस के मकबरे के पास उनका मकबरा स्थित है।

1. तानसेन मकबरा (Tansen Makbara) - gwalior me ghumne ki jagah
1. तानसेन मकबरा (Tansen Makbara) – gwalior me ghumne ki jagah

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

तानसेन मकबरा मुगल वास्तुकला की एक विशिष्ट मिसाल है। यहां पर आने वाले पर्यटक न केवल तानसेन की संगीत विरासत को महसूस कर सकते हैं, बल्कि उनके गुरु मोहम्मद घौस के मकबरे को भी देख सकते हैं। हर वर्ष नवंबर/दिसंबर में यहां तानसेन संगीत महोत्सव आयोजित किया जाता है, जिसमें देशभर के प्रसिद्ध क्लासिकल गायक भाग लेते हैं और अपनी प्रस्तुतियाँ देते हैं।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

मकबरे का प्रवेश समय सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक है, और प्रवेश शुल्क नहीं है। यहां आकर पर्यटक न केवल भारतीय संगीत के महान कलाकार की विरासत को समझ सकते हैं, बल्कि उस समय की मुगल वास्तुकला की खूबसूरती को भी देख सकते हैं।

2. ग्वालियर का किला (Gwalior Fort) – ग्वालियर में घूमने की जगह

ग्वालियर का किला, मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित घुमने वाली जगह, अपनी अभेद्य सुरक्षा और भव्य वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इसकी स्थापना 6वीं शताब्दी में राजपूत योद्धा सुरज सेन द्वारा की गई थी। इसका नाम संत ग्वालिपा के नाम पर पड़ा, जिन्होंने राजा की चर्म रोग से मुक्ति के लिए सुरज कुंड में स्नान करने की सलाह दी थी। तोमर, मुगल, मराठा और ब्रिटिश जैसे विभिन्न राजवंशों के अधीन रहते हुए, यह किला मध्य युग से आज तक अपनी शान बरकरार रखे हुए है।

2. ग्वालियर का किला (Gwalior Fort) - ग्वालियर में घूमने की जगह
2. ग्वालियर का किला (Gwalior Fort) – ग्वालियर में घूमने की जगह

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

किले में मन मंदिर पैलेस, गुजरी महल, तेली का मंदिर, सास-बहू मंदिर और जैन तीर्थंकरों की प्राचीन मूर्तियाँ जैसे दर्शनीय स्थल हैं। पर्यटक यहाँ की वास्तुकला, ऐतिहासिक महत्व और सुरम्य दृश्यों का अनुभव कर सकते हैं। इसके अलावा, यहां हर शाम एक आकर्षक लाइट और साउंड शो भी आयोजित किया जाता है, जो किले की गौरवशाली कहानी को बताता है।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

किले का प्रवेश समय सुबह 7:00 से शाम 5:30 तक है। भारतीयों के लिए प्रवेश शुल्क 75 रुपये प्रति व्यक्ति और विदेशियों के लिए 250 रुपये प्रति व्यक्ति है। ग्वालियर का किला, इतिहास प्रेमियों के साथ-साथ वास्तुकला और संस्कृति के अनुरागियों के लिए एक आवश्यक यात्रा स्थल है।

3. मोती महल (Moti Mahal) – gwalior m ghumne ki jagah

मोती महल, मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित पर्यटन स्थल, एक भव्य इमारत है जिसे 18वीं शताब्दी में महाराजा जयजीराव सिंधिया द्वारा निर्मित किया गया था। यह पहले मध्य भारत के सिंधिया राजवंश के सभा हॉल के रूप में प्रयोग किया जाता था। महल के मुख्य दरबार हॉल में एक भारी चांदेलियर है जो 1.5 टन वजनी है और बेल्जियम काँच से बना है। इसके अतिरिक्त, मोती महल में दीवारों पर लगे रगमाला चित्र और 200 वर्ष पुरानी भगवान कृष्ण और राधा की पेंटिंग देखने योग्य हैं।

3. मोती महल (Moti Mahal) - gwalior m ghumne ki jagah
3. मोती महल (Moti Mahal) – gwalior m ghumne ki jagah

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

मोती महल की विशेषताएँ में इसकी स्थापत्य कला, सोने की पत्तियों का उपयोग और प्राचीन रगमाला चित्र शामिल हैं। पर्यटक यहाँ विश्वव्यापी दो ऐसे चांदेलियरों में से एक को देख सकते हैं, जो इसके विशिष्ट आकर्षणों में से एक है। इसके अलावा, महल में महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान थे ताकि वे सभा की कार्यवाही देख और सीख सकें।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

मोती महल के दर्शन के लिए खुलने के समय और प्रवेश शुल्क की विशिष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है, पर्यटकों को यात्रा से पहले नवीनतम जानकारी के लिए संपर्क करने की सलाह दी जाती है। मोती महल, इतिहास, कला और संस्कृति के शौकीन लोगों के लिए एक अनूठा आकर्षण है।

4. गुजरी महल (Gujari Mahal) – gwalior mein ghumne ki jagah

गुजरी महल, मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित टूरिस्ट स्पॉट, 15वीं शताब्दी में राजा मानसिंह द्वारा उनकी प्रिय रानी मृगनयनी के लिए निर्मित एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है। यह महल अब एक पुरातत्व संग्रहालय के रूप में परिवर्तित हो गया है, जो हिंदू और जैन मूर्तियों, शिलालेखों, और कई प्राचीन कलाकृतियों का घर है। संग्रहालय में ग्यारसपुर की शालभंजिका जैसी प्रतिमाएं और पवाया उत्खनन से प्राप्त टेराकोटा वस्तुएँ प्रमुख हैं।

4. गुजरी महल (Gujari Mahal) - gwalior mein ghumne ki jagah
4. गुजरी महल (Gujari Mahal) – gwalior mein ghumne ki jagah

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

गुजरी महल में पर्यटक विभिन्न समय काल की मूर्तियाँ, सिक्के, पॉटरी और पेंटिंग्स के माध्यम से ग्वालियर के इतिहास और संस्कृति की गहराईयों में यात्रा कर सकते हैं। संग्रहालय की प्रदर्शनी समृद्ध ऐतिहासिक जानकारी और कला के प्रति अनूठी झलक प्रदान करती है।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

संग्रहालय सोमवार से रविवार तक सुबह 10:00 से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है, परन्तु शुक्रवार और सार्वजनिक अवकाशों पर बंद रहता है। भारतीय नागरिकों के लिए प्रवेश शुल्क 20 रुपये और बच्चों के लिए 10 रुपये है। पर्यटकों को यात्रा के दौरान पानी ले जाने और आरामदायक जूते पहनने की सलाह दी जाती है, और कुछ क्षेत्रों में फोटोग्राफी प्रतिबंधित हो सकती है। गुजरी महल संग्रहालय इतिहास प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय गंतव्य है, जो भारतीय कला और संस्कृति के विस्तार को समझने के इच्छुक हैं।

5. जय विलास पैलेस (Jai Vilas Palace) – gwalior mai ghumne ki jagah

जय विलास पैलेस, ग्वालियर, मध्य प्रदेश में स्थित दर्शनीय स्थल है। इसे 1874 में महाराजा जयाजीराव सिंधिया ने ब्रिटिश भारत के तत्कालीन राजकुमार और बाद में सम्राट एडवर्ड VII के स्वागत के लिए बनवाया था। यह पैलेस तीन मंजिला है और इसमें टस्कन, इटालियन डोरिक और कोरिन्थियन वास्तुशैली का मिश्रण है। जय विलास पैलेस आज भी सिंधिया परिवार का निवास स्थान है और इसके कुछ हिस्से को म्यूजियम में बदल दिया गया है।

5. जय विलास पैलेस (Jai Vilas Palace) - gwalior mai ghumne ki jagah
5. जय विलास पैलेस (Jai Vilas Palace) – gwalior mai ghumne ki jagah

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

पैलेस के दरबार हॉल में विशाल झूमर, सोने की चित्रकारी, भारी पर्दे और फारसी कालीन हैं। पर्यटक यहाँ राजसी वातावरण, शाही गाड़ियां, शाही वस्त्र, हथियार और विभिन्न कलाकृतियाँ देख सकते हैं। इस म्यूजियम में भारतीय और यूरोपीय कलाकारों की दुर्लभ पेंटिंग्स और दक्षिण पूर्वी एशियाई कला संग्रह भी हैं।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

जय विलास पैलेस म्यूजियम सोमवार से रविवार तक सुबह 10:00 से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है, लेकिन बुधवार को बंद रहता है। प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए 100 रुपये, विदेशी नागरिकों के लिए 600 रुपये है। यहाँ आने वाले पर्यटकों को इस प्राचीन धरोहर की भव्यता और कलात्मक समृद्धि का अनुभव होता है।

6. मान मंदिर पैलेस (Man Mandir Palace) – gwalior mein ghumne wali jagah

मान मंदिर पैलेस ग्वालियर के विशाल किले के उत्तर-पूर्वी छोर पर स्थित टूरिस्ट स्पॉट है। इसे तोमर शासक, मान सिंह तोमर ने 1486 और 1516 के बीच बनवाया था। यद्यपि समय के साथ इस पैलेस का कुछ हिस्सा खंडहर में बदल गया, फिर भी इसके अवशेष उस काल की सुंदर नक्काशी और डिजाइनों का प्रदर्शन करते हैं। पैलेस में दो खुले आंगन हैं और दो स्तरों पर अपार्टमेंट्स हैं। मुगलों द्वारा बाद में बनाए गए भूमिगत कारागार कोशिकाएं भी हैं। यहां औरंगजेब ने अपने भाई मुराद को कैद कर अफीम का उपयोग करके धीरे-धीरे मौत के घाट उतार दिया था।

6. मान मंदिर पैलेस (Man Mandir Palace) - gwalior mein ghumne wali jagah
6. मान मंदिर पैलेस (Man Mandir Palace) – gwalior mein ghumne wali jagah

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

मान मंदिर पैलेस की विशेषताएं इसकी खूबसूरत नक्काशी और डिजाइन हैं। पर्यटक यहाँ राजपूत महिलाओं के जीवन और मुगलों द्वारा कैद किए गए हिंदू राजाओं की कहानियों के बारे में जान सकते हैं। इसके आस-पास जहांगीर महल, शाहजहां महल और गुजरी महल जैसे अन्य स्मारक हैं।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

मान मंदिर पैलेस के दर्शन के समय और प्रवेश शुल्क की विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है, इसलिए पर्यटकों को यात्रा से पहले स्थानीय पर्यटन विभाग से संपर्क कर नवीनतम जानकारी प्राप्त करने की सलाह दी जाती है। मान मंदिर पैलेस इतिहास, कला और वास्तुकला के शौकीन लोगों के लिए एक अनूठा आकर्षण है।

7. ग्वालियर चिड़ियाघर (Gwalior Zoo) – gwalior mein ghumne layak jagah

ग्वालियर चिड़ियाघर, जिसे गांधी चिड़ियाघर भी कहा जाता है, मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित पर्यटकों का स्थल है। इसे 1922 में माधवराव सिंधिया द्वारा महात्मा गांधी पार्क के रूप में फूल बाग के एक भाग के रूप में बनाया गया था। यह चिड़ियाघर 8 हेक्टेयर भूमि पर फैला है और यहाँ दुर्लभ और आम मिलने वाले जंगली जानवरों की प्रजातियाँ रहती हैं।

7. ग्वालियर चिड़ियाघर (Gwalior Zoo) - gwalior mein ghumne layak jagah
7. ग्वालियर चिड़ियाघर (Gwalior Zoo) – gwalior mein ghumne layak jagah

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

ग्वालियर चिड़ियाघर में जानवरों की विविधता देखी जा सकती है, जैसे हैना, चित्तीदार हिरण, काला हिरण, भालू, पैंथर, बाइसन, सांभर, हिप्पोपोटेमस, सफेद बाघ, रॉयल बंगाल टाइगर, शेर, सांप, छिपकली, मगरमच्छ, बंदर आदि। इसके अलावा, विभिन्न रंगीन पक्षियों को भी यहाँ देखा जा सकता है।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

चिड़ियाघर के प्रमुख आकर्षणों में सफेद बाघ, सोने का फ़ेजेंट, सांभर, हैना, और बाइसन शामिल हैं। ग्वालियर चिड़ियाघर यात्रा के लिए समय सुबह 8:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक है, लेकिन शुक्रवार को बंद रहता है। प्रवेश शुल्क वयस्कों के लिए 30 रुपये, बच्चों के लिए 10 रुपये, विद्यार्थियों के लिए 20 रुपये, और विदेशी नागरिकों के लिए 100 रुपये है। कैमरा ले जाने पर अतिरिक्त शुल्क लगता है। ग्वालियर चिड़ियाघर जैव विविधता का खजाना है और यहाँ आकर पर्यटक मध्य प्रदेश की समृद्ध वन्यजीवन संस्कृति का अनुभव कर सकते हैं।

8. तेली का मंदिर (Teli Ka Mandir) – gwalior me ghumne wali jagah

तेली का मंदिर ग्वालियर किले के परिसर में स्थित घुमने वाली जगह है, जिसका निर्माण 9वीं शताब्दी में प्रतिहार राजा मिहिर भोज के शासनकाल में हुआ था। यह मंदिर अपने अनोखे वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है जिसमें द्रविड़ शैली की विशेषता है, लेकिन मूर्तियाँ उत्तर भारतीय हैं। मंदिर का नाम तेल व्यापारियों द्वारा दान किए गए धन से आया है, जिसके कारण इसे तेली का मंदिर कहा जाता है।

8. तेली का मंदिर (Teli Ka Mandir) - gwalior me ghumne wali jagah
8. तेली का मंदिर (Teli Ka Mandir) – gwalior me ghumne wali jagah

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

मंदिर की ऊँचाई लगभग 30 मीटर है और इसमें एक संकुल, एक वरांडा और एक प्रवेश द्वार है। मंदिर की विशेषता इसकी मेहराबदार छत है, जो द्रविड़ शैली में निर्मित है। यह मंदिर उत्तर और दक्षिण भारतीय मंदिर वास्तुकला का सम्मिश्रण है। छत का आकार द्रविड़ शैली का एक उदाहरण है, जबकि सजावट इंडो-आर्यन है। यहाँ नदी की देवियों, सर्पों, प्रेमी जोड़ों और उड़ते हुए गरुड़ की मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

मंदिर के दर्शन का समय सभी दिनों में सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक है और प्रवेश शुल्क प्रति व्यक्ति 10 से 20 रुपये है। तेली का मंदिर ग्वालियर की यात्रा के दौरान देखने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है, जो इसकी अद्वितीय वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है।

9. सास बहू मंदिर (Sas Bahu Temple) – gwalior ghumne ki jagah

सास बहू मंदिर ग्वालियर किले के परिसर में स्थित पर्यटक स्थल है, जो अपने अद्भुत वास्तुकला और प्राचीन किंवदंतियों के लिए प्रसिद्ध है। इसे 11वीं शताब्दी में कच्छपघाट वंश के राजा महिपाल द्वारा बनवाया गया था। मंदिर का नाम “सास बहू” इसके दो मुख्य मंदिरों – एक बड़े (सास) और एक छोटे (बहू) के कारण पड़ा है, जो सास और बहू के बीच के संबंध को प्रतिबिंबित करता है।

9. सास बहू मंदिर (Sas Bahu Temple) - gwalior ghumne ki jagah
9. सास बहू मंदिर (Sas Bahu Temple) – gwalior ghumne ki jagah

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

मंदिर की विशेषता इसकी जटिल मूर्तिकला, सूक्ष्म आकृतियाँ, और अलंकृत स्तंभ हैं जो दर्शकों को एक कलात्मक युग में ले जाते हैं। इसका निर्माण बालू पत्थर से किया गया है, जो इसे एक भव्य और सुरुचिपूर्ण रूप प्रदान करता है। मंदिर हिंदू मिथकों से जुड़ी विभिन्न कहानियों को चित्रित करते हुए मूर्तियों से सजा है।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

सास बहू मंदिर पूरे वर्ष दर्शकों के लिए खुला रहता है, लेकिन अक्टूबर से मार्च के महीने में यात्रा करना सबसे उत्तम माना जाता है जब मौसम सुहावना होता है। मंदिर में विभिन्न सुविधाएँ और सेवाएँ उपलब्ध हैं जैसे कि साफ़-सफ़ाई वाले शौचालय, आराम करने के लिए बैठक क्षेत्र, और जूते रखने के लिए निर्दिष्ट स्थान। मंदिर तक पहुँचना आसान है, चाहे आप हवाई मार्ग से, रेल मार्ग से, या सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हों। ग्वालियर जंक्शन रेलवे स्टेशन और राजमाता विजया राजे सिंधिया एयर टर्मिनल से मंदिर तक टैक्सी या ऑटो-रिक्शा द्वारा पहुँचा जा सकता है।

10. सूरज कुंडो (Suraj Kund) – ग्वालियर टूरिस्ट प्लेस

सूरज कुंड ग्वालियर किले के परिसर में स्थित एक प्राचीन जलाशय टूरिस्टिक स्थल है, जिसे 10वीं शताब्दी में तोमर वंश के सूरज पाल ने निर्मित किया था। सूर्य उपासक होने के कारण, उन्होंने इस तालाब के पश्चिमी तट पर एक सूर्य मंदिर भी बनवाया। सूरज कुंड का अर्थ होता है ‘सूर्य का तालाब’, और यह स्थान वर्तमान में एक प्राचीन सूर्य मंदिर के खंडहरों, एक सुंदर बगीचे और सिद्ध कुंड नामक एक पूल से घिरा हुआ है।

10. सूरज कुंडो (Suraj Kund) - ग्वालियर टूरिस्ट प्लेस
10. सूरज कुंडो (Suraj Kund) – ग्वालियर टूरिस्ट प्लेस

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

सूरज कुंड के पानी को चमत्कारिक शक्तियों वाला माना जाता है। कहा जाता है कि इसके पानी में स्नान करने से ग्वालियर शहर के खोजकर्ता सूरज सेन की कुष्ठ रोग से चिकित्सा हुई थी। इस कुंड के आस-पास का वातावरण आकर्षक और सुव्यवस्थित है, जो पर्यटकों को यहाँ समय बिताने के लिए प्रेरित करता है।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

सूरज कुंड के दर्शन का समय सप्ताह के सभी दिन सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक है और यहाँ प्रवेश निःशुल्क है। इस ऐतिहासिक स्थल पर आने वाले पर्यटक न केवल इसके शांत और पवित्र वातावरण का आनंद ले सकते हैं, बल्कि ग्वालियर के इतिहास और संस्कृति से भी परिचित हो सकते हैं।

11. सूर्य मंदिर (Surya Mandir) – gwalior tourist places in hindi

सूर्य मंदिर, ग्वालियर का एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल टूरिस्टिक आकर्षण है, जो मध्य प्रदेश में स्थित है। इसे 1988 में प्रसिद्ध उद्योगपति जी.डी. बिड़ला ने निर्मित करवाया था। मंदिर की वास्तुकला ओडिशा के प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर से प्रेरित है। इसकी खासियत इसकी सुंदर मूर्तिकला, वास्तुशिल्प की उत्कृष्टता और आध्यात्मिक वातावरण है।

11. सूर्य मंदिर (Surya Mandir) - gwalior tourist places in hindi
11. सूर्य मंदिर (Surya Mandir) – gwalior tourist places in hindi

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

मंदिर की बाहरी दीवारें लाल बलुआ पत्थर से बनी हैं जबकि आंतरिक हिस्सा संगमरमर से निर्मित है, जिससे इसे एक विलक्षण और आकर्षक रूप मिलता है। मंदिर परिसर के भीतर एक सुंदर बगीचा भी है, जो इसकी शांति और सुंदरता को और भी बढ़ाता है।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

सूर्य मंदिर का दर्शन समय सुबह 6:30 से 12:00 बजे तक और दोपहर 1:00 से शाम 6:00 बजे तक है, और यहाँ प्रवेश निःशुल्क है। मंदिर अपने वास्तुशिल्प के साथ-साथ आध्यात्मिक शांति प्रदान करने के लिए भी जाना जाता है, जो यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है।

12. पड़ावली और बटेश्वर (Padavali aur Bateshwar) – gwalior ke pass ghumne ki jagah

पड़ावली और बटेश्वर, मध्य प्रदेश में ग्वालियर से कुछ किलोमीटर दूर स्थित टूरिस्टिक स्थल हैं। ये स्थान गुप्त और गुर्जर-प्रतिहार वंशों के समय के खूबसूरत संरचनाओं का समूह हैं। पड़ावली में एक शिव मंदिर है जो 18वीं शताब्दी में जाट राणा शासकों द्वारा बनाया गया था। बटेश्वर में लगभग 200 छोटे मंदिर हैं जो शिव और विष्णु को समर्पित हैं, जिनका निर्माण 8वीं से 10वीं शताब्दी ईस्वी में हुआ था।

12. पड़ावली और बटेश्वर (Padavali aur Bateshwar) - gwalior ke pass ghumne ki jagah
12. पड़ावली और बटेश्वर (Padavali aur Bateshwar) – gwalior ke pass ghumne ki jagah

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

पड़ावली और बटेश्वर के मंदिर पोस्ट गुप्त काल की वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करते हैं। पड़ावली किले के भीतर मंदिर में प्रत्येक पत्थर अपनी नक्काशी और विस्तार के माध्यम से प्राचीन युग की कहानी सुनाता है। बटेश्वर के मंदिर समूह में विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित छोटे मंदिर हैं और आस-पास का जंगल पक्षियों से भरा हुआ है।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

पड़ावली और बटेश्वर की यात्रा के लिए विशेष समय और प्रवेश शुल्क की जानकारी उपलब्ध नहीं है। पर्यटकों को इन ऐतिहासिक स्थलों का दर्शन करने से पहले स्थानीय पर्यटन कार्यालय से संपर्क करके नवीनतम जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। ये स्थान इतिहास और वास्तुकला के प्रेमियों के लिए एक अद्भुत यात्रा का अनुभव प्रदान करते हैं।

13. सिंधिया संग्रहालय (Scindia Museum) – ग्वालियर के प्रमुख पर्यटन स्थल

सिंधिया संग्रहालय, जो जय विलास पैलेस के एक हिस्से में स्थित पर्यटन स्थल है, ग्वालियर, मध्य प्रदेश में एक प्रमुख आकर्षण है। इसे 1874 में महाराजा जयाजी राव सिंधिया द्वारा निर्मित किया गया था, जो उस समय वेल्स के राजकुमार और बाद में राजा एडवर्ड VII के स्वागत के लिए बनवाया गया था। आज यह मराठा राजघराने के वंशजों का निवास स्थान है।

13. सिंधिया संग्रहालय (Scindia Museum) - ग्वालियर के प्रमुख पर्यटन स्थल
13. सिंधिया संग्रहालय (Scindia Museum) – ग्वालियर के प्रमुख पर्यटन स्थल

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

संग्रहालय में 35 कमरों में फैले विभिन्न ऐतिहासिक महत्व की वस्तुएँ हैं, जैसे कि शाहजहां और औरंगजेब के समय की तलवारें और स्वतंत्रता सेनानी रानी लक्ष्मीबाई की मूल ढाल। इसमें दुनिया के सबसे विशाल झूमर और एक विशाल आलीशान कालीन भी हैं।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

सिंधिया संग्रहालय सप्ताह के सभी दिन सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है, लेकिन सोमवार को बंद रहता है। प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए 100 रुपये, विदेशी नागरिकों के लिए 600 रुपये है। इस संग्रहालय की यात्रा से पर्यटक मराठा राजघराने की विलासिता और भव्यता का अनुभव कर सकते हैं।

14. सरोद घर (Sarod Ghar)

सरोद घर, ग्वालियर के ऐतिहासिक शहर में जीवाजी गंज में स्थित एक संग्रहालय और दर्शनीय स्थल है, जो भारतीय क्लासिकल संगीत, विरासत और संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। इसे प्रसिद्ध सरोद वादक अमजद अली खान के पूर्वजों के घर में बनाया गया है, जिसे उन्होंने इस उद्देश्य के लिए दान किया था। सरोद घर का मुख्य आकर्षण भारतीय संगीत के महान उस्तादों के प्राचीन वाद्ययंत्रों का संग्रह है, साथ ही साथ फोटोग्राफ और दस्तावेज़ों का एक प्रभावशाली संग्रह भी है।

14. सरोद घर (Sarod Ghar)
14. सरोद घर (Sarod Ghar)

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

संग्रहालय में अमजद अली खान के पूर्वजों के वाद्ययंत्रों का प्रदर्शन है, जिनमें नान्ने खान के सरोद और गुलाम बंदगी खान बंगश का रबाब शामिल हैं। संग्रहालय नियमित रूप से ऑडियो प्रोग्राम और सार्वजनिक के लिए लाइव प्रदर्शन आयोजित करता है, और केंद्रीय आंगन को लाइव प्रदर्शन के लिए एक खुले-आकाशीय ऑडिटोरियम के रूप में डिजाइन किया गया है।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

सरोद घर के दर्शन का समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक है, और रविवार को बंद रहता है। प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए 20 रुपये और विदेशी नागरिकों के लिए 100 रुपये है। सरोद घर भारतीय क्लासिकल संगीत के प्रेमियों के लिए एक अनूठा आकर्षण है, जो इस कला रूप के विकास और इतिहास की बेहतर समझ प्रदान करता है।

15. ग्वालियर व्यापार मेला (Gwalior Trade Fair)

ग्वालियर व्यापार मेला मध्य प्रदेश के सबसे बड़े मेलों और टूरिस्ट स्पॉट में से एक है, जो ग्वालियर के प्रगति मैदान में आयोजित किया जाता है। यह मेला 1905 में महाराजा माधव राव सिंधिया द्वारा शुरू किया गया था और अब यह मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा मेला बन गया है। मेले में 1200 स्थायी मंडप, 500 से अधिक प्लेटफॉर्म और 3000 कियोस्क हैं जहाँ निजी, राष्ट्रीय, बहुराष्ट्रीय और सरकारी कंपनियां विभिन्न प्रकार के उत्पादों की बिक्री के लिए अपने स्टाल लगाती हैं।

15. ग्वालियर व्यापार मेला (Gwalior Trade Fair)
15. ग्वालियर व्यापार मेला (Gwalior Trade Fair)

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

मेले में आयोजित की जाने वाली प्रमुख गतिविधियों में हास्य कवि सम्मेलन, कव्वाली प्रतियोगिता, मुशायरा, सांस्कृतिक शाम, संगीत रातें आदि शामिल हैं। इसके अलावा, मनोरंजन के लिए झूले, जादू शो, विशाल चक्र और जादू शो जैसी गतिविधियाँ भी आयोजित की जाती हैं।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

ग्वालियर व्यापार मेला हर साल दिसंबर के मध्य में शुरू होता है और एक महीने तक चलता है। मेले का प्रवेश निःशुल्क है। यह मेला न केवल भारत में लोकप्रिय है बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान भी प्राप्त है। ग्वालियर व्यापार मेला उत्तर भारत का सबसे रंगीन मेला है और ग्वालियर के प्रमुख आकर्षणों में से एक है।

16. पाटनकर बाजारी (Patanakar Bazaar)

पाटनकर बाजार, ग्वालियर में एक भीड़भाड़ वाला बाजार है जहां आपको हस्तशिल्प, हथकरघा उत्पाद, पत्थर की नक्काशी, कलाकृतियाँ आदि सभी प्रकार की चीजें मिल जाएंगी। यह बाजार उत्तर भारत के सबसे रंगीन मेलों और पर्यटक स्थलों में से एक, ग्वालियर व्यापार मेला के निकट स्थित है।

16. पाटनकर बाजारी (Patanakar Bazaar)
16. पाटनकर बाजारी (Patanakar Bazaar)

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

पाटनकर बाजार की खासियत यहां के हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पाद हैं। यहां की दुकानों में आपको विभिन्न प्रकार की वस्त्र सामग्री, जूते, गहने, और सजावटी सामान मिल जाएंगे। इसके अलावा, पर्यटक यहां स्थानीय खाने की दुकानों में स्वादिष्ट व्यंजनों का भी आनंद उठा सकते हैं।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

पाटनकर बाजार कोई प्रवेश शुल्क नहीं है और यह बाजार सप्ताह के सभी दिनों में खुला रहता है। यहां आकर पर्यटक न केवल खरीदारी का आनंद ले सकते हैं बल्कि स्थानीय संस्कृति और कला के साथ भी जुड़ सकते हैं।

17. रानी लक्ष्मीबाई समाधि (Rani Lakshmibai Smarak)

रानी लक्ष्मीबाई समाधि ग्वालियर में स्थित टूरिस्टिक स्थल है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की समाधि है। इस स्थल पर रानी लक्ष्मीबाई की 8 मीटर ऊँची धातु की प्रतिमा भी है। हर वर्ष जून में रानी की सम्मान में यहाँ एक मेला आयोजित किया जाता है। यह स्थल इतिहास प्रेमियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।

17. रानी लक्ष्मीबाई समाधि (Rani Lakshmibai Smarak)
17. रानी लक्ष्मीबाई समाधि (Rani Lakshmibai Smarak)

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

समाधि के अलावा, यह स्थल अपनी स्थापत्य सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहां आने वाले पर्यटक रानी लक्ष्मीबाई के जीवन और उनकी वीरता की कहानियों को जान सकते हैं। इसके आस-पास के आकर्षणों में ग्वालियर किला, जय विलास पैलेस और सिंधिया संग्रहालय शामिल हैं।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

रानी लक्ष्मीबाई समाधि के दर्शन का समय और प्रवेश शुल्क की विशिष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। पर्यटकों को यहाँ आने से पहले स्थानीय पर्यटन कार्यालय से संपर्क कर नवीनतम जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। यह स्थल उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण यात्रा स्थल है जो भारतीय इतिहास और वीरता की कहानियों में रुचि रखते हैं।

18. गोपाल पर्वत (Gopachal Parvat)

गोपाचल पर्वत ग्वालियर किले के आस-पास स्थित पर्यटन आकर्षण है और जैन धर्म के दिगंबर तीर्थंकरों की अद्भुत मूर्तियों का घर है। ये मूर्तियाँ 1398 से 1536 के बीच स्थापित की गई थीं, जिन्हें तोमर वंश के राजाओं वीरमदेव, दुंगार सिंह और कीर्ति सिंह ने बनवाया था। यह स्थान प्रेम, शांति और समानता का संदेश फैलाने के लिए जाना जाता है, जो उन दिनों सामाजिक बुराइयों और जाति व्यवस्था के साथ धीरे-धीरे घटता जा रहा था।

18. गोपाल पर्वत (Gopachal Parvat)
18. गोपाल पर्वत (Gopachal Parvat)

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

गोपाचल पर्वत पर सबसे उल्लेखनीय मूर्तियाँ अदिनाथ और पार्श्वनाथ की हैं, जो क्रॉस लेग्ड सिटिंग पोजिशन में हैं। ये मूर्तियाँ ग्वालियर किले की ओर मुख करके स्थापित की गई हैं, जिसे जैन फोर्ट या जैन गढ़ के नाम से भी जाना जाता है।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

गोपाचल पर्वत का दौरा करने के लिए सर्वोत्तम समय दिन के दौरान है। इसकी यात्रा के लिए कोई विशेष प्रवेश शुल्क नहीं है और यह 24 घंटे खुला रहता है। यह स्थल न केवल भारतीय धर्म और इतिहास के जिज्ञासुओं के लिए आकर्षक है बल्कि वास्तुकला और मूर्तिकला के प्रेमियों के लिए भी एक उत्कृष्ट दर्शनीय स्थल है।

19. रूप सिंह स्टेडियम (Roop Singh Stadium)

रूप सिंह स्टेडियम ग्वालियर, मध्य प्रदेश में स्थित एक प्रमुख क्रिकेट स्टेडियम और टूरिस्टिक आकर्षण है। इसका नाम प्रसिद्ध भारतीय हॉकी खिलाड़ी रूप सिंह के नाम पर रखा गया है। स्टेडियम में 25,000 दर्शकों की सीटिंग क्षमता है और इसमें आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जिसमें ओलंपिक-साइज़ का तैराकी पूल, विभिन्न खेल मैदान, और कई प्रशिक्षण केंद्र शामिल हैं। इस स्टेडियम ने कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय खेल कार्यक्रमों की मेजबानी की है।

19. रूप सिंह स्टेडियम (Roop Singh Stadium)
19. रूप सिंह स्टेडियम (Roop Singh Stadium)

अनुभव करने लायक चीज़ें और देखने लायक जगहें (Things to experience and places to see)

रूप सिंह स्टेडियम न केवल खेल आयोजनों के लिए बल्कि स्पोर्ट्स और फिटनेस को बढ़ावा देने के लिए भी एक केंद्र है। यह स्टेडियम नियमित रूप से खेल क्लीनिक, प्रशिक्षण सत्र, और कार्यशालाएँ आयोजित करता है। इसके अलावा, इसका सुंदर वास्तुकला और आधुनिक डिज़ाइन तत्व इसे और भी विशेष बनाते हैं। स्टेडियम की प्रमुख विशेषताओं में इसके ऊँचे स्टैंड और साफ-सुथरे मैदान शामिल हैं, जो स्पोर्ट्स और फिटनेस को बढ़ावा देने के क्षेत्र की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

खुलने का समय और प्रवेश शुल्क (Timings and Entry Fee)

स्टेडियम के आस-पास के आकर्षणों में ग्वालियर किला, जय विलास पैलेस, सिंधिया संग्रहालय और तिघरा बांध शामिल हैं, जो पर्यटकों को इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव कराते हैं। रूप सिंह स्टेडियम खेल और फिटनेस में रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक आवश्यक यात्रा स्थल है।

ग्वालियर में घूमने की अन्य जगह कौनसी हैं? (Gwalior me ghumne ki anya jagah kounsi hain?)  

ग्वालियर  में अन्य घूमने की जगहों में पार्क्स, म्यूज़ीअम, कपल्स के लिए घूमने की जगह, बच्चों के लिए घूमने की जगह, दोस्तों के लिए घूमने की जगह, रात में घूमने की जगह, इत्यादि हैं। इन सारी जगहों की बारे में विस्तार में नीचे बताया गया है।

ग्वालियर में घूमने के म्यूज़ीअम कौनसे हैं? (Gwalior me ghumne ke museums konse hain?) 

ग्वालियर में घूमने के प्रमुख म्यूज़ीअम्स में एचएच महाराजा सर जिवाजीराव सिंधिया म्यूजियम, गुजरी महल पुरातत्व संग्रहालय, और सरोद घर शामिल हैं। 

इन ग्वालियर में घूमने के संग्रहालयों की व्याख्या नीचे दी गई है।

  • एचएच महाराजा सर जिवाजीराव सिंधिया म्यूजियम: जय विलास पैलेस के अंदर स्थित, इस म्यूजियम में एशिया का सबसे बड़ा कालीन और विभिन्न प्रकार के हथियार और कला के टुकड़े प्रदर्शित हैं।
  • गुजरी महल पुरातत्व संग्रहालय: 15वीं शताब्दी के महल में स्थापित, यह म्यूजियम विभिन्न प्रकार के पुरातात्विक अवशेषों का प्रदर्शन करता है।
  • सरोद घर: अमजद अली खान के पूर्वजों के घर में स्थापित, यह म्यूजियम भारतीय क्लासिकल संगीत और वाद्य यंत्रों की विविधता को प्रदर्शित करता है।

ग्वालियर में बच्चों के लिए घूमने की जगह कौनसी है? (Gwalior me bachchon ke liye ghumne ki jagah kaunsi hai?)

ग्वालियर में बच्चों के लिए घूमने की जगहों में ग्वालियर चिड़ियाघर, ग्वालियर व्यापार मेला, सरोद घर, और तेली का मंदिर शामिल है।

 इन ग्वालियर में बच्चों की घूमने की जगहों की व्याख्या नीचे दी गई है।

  • ग्वालियर चिड़ियाघर: विविध प्रकार के जानवरों और पक्षियों के साथ, यह जगह बच्चों को प्रकृति और वन्यजीवन से जुड़ने का अवसर देती है।
  • ग्वालियर व्यापार मेला: विभिन्न आकर्षणों, खेल कूद की गतिविधियों और खाने के स्टाल्स के साथ, यह मेला परिवारों और बच्चों के लिए एक मनोरंजक स्थान है।
  • सरोद घर: संगीत प्रेमी बच्चों के लिए, यह संग्रहालय भारतीय क्लासिकल संगीत और वाद्य यंत्रों की खोज करने का एक अनूठा स्थान है।
  • तेली का मंदिर: इतिहास और वास्तुकला में रुचि रखने वाले बच्चों के लिए यह मंदिर एक आकर्षक स्थान है, जो उन्हें प्राचीन भारतीय संस्कृति से परिचित कराता है।

ग्वालियर में दोस्तों के लिए  घूमने की जगह कौनसी है? (Gwalior me doston ke liye  ghumne ki jagah kaunsi hai?)

ग्वालियर में दोस्तों के साथ घूमने के लिए आदर्श स्थान ग्वालियर फोर्ट, जय विलास पैलेस, सास बहू मंदिर, गोपाचल पर्वत, और सूरज कुंड है। 

इन ग्वालियर में दोस्तों के साथ घूमने की जगहों की व्याख्या नीचे दी गई है।

  • ग्वालियर फोर्ट: इसे उत्तर और मध्य भारत के सबसे अभेद्य किलों में से एक माना जाता है।
  • जय विलास पैलेस: 1874 में निर्मित, यह पैलेस महाराजा जयाजी राव सिंधिया का निवास स्थान है।
  • सास बहू मंदिर: 9वीं शताब्दी में निर्मित, यह मंदिर देवता विष्णु को समर्पित है।
  • गोपाचल पर्वत: यहाँ 7वीं और 15वीं शताब्दी की जैन मूर्तियाँ हैं।
  • सूरज कुंड: यह जलाशय अपने चमत्कारिक पानी के लिए प्रसिद्ध है।

ग्वालियर में कपल्स के लिए घूमने की जगह कौनसी है? (Gwalior me couples ke liye ghumne ki jagah kaunsi hai?)

ग्वालियर में कपल्स के लिए आकर्षण के स्थान ग्वालियर फोर्ट, जय विलास पैलेस, गुजरी महल, सूर्य मंदिर, और तिघरा डैम है। 

इन ग्वालियर में कपल्स की घूमने की जगहों की व्याख्या नीचे दी गई है।

  • ग्वालियर फोर्ट: इसकी प्राचीन संरचना और मनोरम दृश्य जोड़ों के लिए एक रोमांटिक पल प्रदान करते हैं।
  • जय विलास पैलेस: इसका शाही इतिहास और वास्तुकला एक यादगार दिन बिताने के लिए उत्कृष्ट है।
  • गुजरी महल: इस प्राचीन महल में इतिहास के बीच समय बिताना रोमांचक हो सकता है।
  • सूर्य मंदिर: इस मंदिर में शांत और आध्यात्मिक वातावरण जोड़ों को एक साथ शांति महसूस कराता है।
  • तिघरा डैम: प्राकृतिक सौंदर्य और शांत वातावरण में आरामदायक पल बिताने के लिए आदर्श है।

ग्वालियर में रात में घूमने की जगह कौनसी है? (Gwalior me raat me ghumne ki jagah kaunsi hai?)

ग्वालियर में रात में घूमने की जगहों में ग्वालियर फोर्ट: लाइट एंड साउंड शो, पाटनकर बाजार, इंडियन कॉफी हाउस, जालसा क्लब और लाउंज शामिल हैं। 

इन ग्वालियर में रात में घूमने की जगहों की व्याख्या नीचे दी गई है।

  • ग्वालियर फोर्ट: लाइट एंड साउंड शो: रात में ग्वालियर फोर्ट का लाइट एंड साउंड शो देखना, जहाँ इस भव्य संरचना को विभिन्न रंगों की रोशनी में देखा जा सकता है।
  • पाटनकर बाजार: रात में खरीदारी करने के लिए एक आदर्श स्थान, जहाँ हस्तशिल्प और स्ट्रीट फूड का आनंद लिया जा सकता है।
  • इंडियन कॉफी हाउस: एक लंबे दिन के बाद आराम करने और ताजगी पाने के लिए एक कप कॉफी का आनंद लेने के लिए बेहतरीन स्थान।
  • जालसा क्लब और लाउंज: दोस्तों के साथ सामाजिकता और नृत्य करने के लिए एक आकर्षक वातावरण के साथ नाइटलाइफ़ का अनुभव करने का एक स्थान।

ग्वालियर में घूमने के लिए पार्क कौनसे हैं?

ग्वालियर में घूमने के लिए पार्क्स फूल बाग, इटालियन गार्डन, गांधी पार्क, अम्बेडकर पार्क, और नेहरू पार्क है। 

इन पार्कों की व्याख्या नीचे दी गई है।

  • फूल बाग: यह एक सुंदर उद्यान है जो आराम और प्रकृति के बीच समय बिताने के लिए एक आदर्श स्थल है।
  • इटालियन गार्डन: यह उद्यान इटालियन शैली में बनाया गया है और इसमें खूबसूरत फव्वारे और हरे-भरे मैदान हैं।
  • गांधी पार्क: यह पार्क गांधी जी के सम्मान में बनाया गया है और यहाँ पर उनकी एक प्रतिमा भी स्थापित है।
  • अम्बेडकर पार्क: यह पार्क डॉ. भीमराव अम्बेडकर की स्मृति में बनाया गया है, जो एक शांतिपूर्ण स्थान है।
  • नेहरू पार्क: यह एक और लोकप्रिय पार्क है जो परिवारों और बच्चों के लिए खेल के मैदान और पिकनिक स्थल के रूप में आदर्श है।

ग्वालियर kaha hai?

ग्वालियर मध्य प्रदेश राज्य के उत्तरी भाग में स्थित एक प्रमुख शहर है। यह भारत के मध्य भाग में स्थित है और दिल्ली से लगभग 319 किलोमीटर दक्षिण में है। ग्वालियर अपने शानदार किले, महलों, मंदिरों और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है।

ग्वालियर के बेस्ट फूड कौनसे है?

ग्वालियर के बेस्ट फूड में कचोरी, पोहा, करेला चाट, और पनीर जलेबी शामिल हैं।

  • कचोरी: ग्वालियर में सुबह की शुरुआत कचोरी के साथ करना एक परंपरा है। यहाँ की कचोरियां अपने विशेष स्वाद के लिए जानी जाती हैं।
  • पोहा: स्वादिष्ट और पौष्टिक, ग्वालियर का पोहा नाश्ते के लिए एक लोकप्रिय विकल्प है।
  • करेला चाट: इसका नाम सुनकर भले ही आपको आश्चर्य हो, पर ग्वालियर की करेला चाट अपने अनूठे स्वाद के लिए प्रसिद्ध है।
  • पनीर जलेबी: ग्वालियर की पनीर जलेबी मिठाई प्रेमियों के लिए एक विशेष आकर्षण है और इसका स्वाद वाकई में अद्भुत है।

ग्वालियर जाने के तरीके कौनसे हैं?

ग्वालियर पहुंचने के लिए वायु, रेल और सड़क मार्ग सभी विकल्प उपलब्ध हैं। ग्वालियर एयरपोर्ट शहर के मुख्य भागों से जुड़ा हुआ है और भारत के प्रमुख शहरों से उड़ानें संचालित होती हैं। रेलवे स्टेशन भी ग्वालियर को देश के विभिन्न हिस्सों से जोड़ता है, जिससे यह रेल मार्ग से भी सुगम्य है। सड़क मार्ग से, ग्वालियर नेशनल हाईवे के माध्यम से आस-पास के शहरों और राज्यों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

ग्वालियर में सबसे खूबसूरत जगह कौन सी है?

ग्वालियर में सबसे खूबसूरत जगहों में से एक ग्वालियर फोर्ट है, जिसे इसकी प्राचीन संरचना और मनोरम दृश्य के लिए सराहा जाता है। इसके अलावा, जय विलास पैलेस भी इसकी भव्यता और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, जो शाही विरासत का गवाह है। ये दोनों स्थान ग्वालियर की अद्वितीय संस्कृति और इतिहास को प्रदर्शित करते हैं।

ग्वालियर में घूमने के लिए कौन कौन सी जगह है?

ग्वालियर शहर अपने प्राचीन ग्वालियर फोर्ट, जय विलास पैलेस, और ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, यह संगीत महानुभाव तानसेन की जन्मभूमि के रूप में भी जाना जाता है, जिसके कारण यहां हर वर्ष तानसेन संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है। ग्वालियर की गजक और नमकीन भी देश भर में प्रसिद्ध हैं।

ग्वालियर के बारे में क्या खास है?

ग्वालियर की खासियत इसका ऐतिहासिक ग्वालियर फोर्ट है, जो इसकी प्राचीन संरचना और विरासत के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, जय विलास पैलेस, गुजरी महल, और संगीत की धरोहर को संजोए हुए सरोद घर भी ग्वालियर को खास बनाते हैं। यह शहर अपनी विशेष मिठाई गजक और भोजन संस्कृति के लिए भी जाना जाता है।

ग्वालियर शहर किस लिए प्रसिद्ध है?

ग्वालियर शहर अपने प्राचीन ग्वालियर फोर्ट, जय विलास पैलेस, और ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, यह संगीत महानुभाव तानसेन की जन्मभूमि के रूप में भी जाना जाता है, जिसके कारण यहां हर वर्ष तानसेन संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है। ग्वालियर की गजक और नमकीन भी देश भर में प्रसिद्ध हैं।

ग्वालियर में सबसे फेमस क्या है?

ग्वालियर में सबसे फेमस ग्वालियर फोर्ट है, जो इसकी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, जय विलास पैलेस और तानसेन संगीत समारोह भी प्रसिद्ध हैं।

ग्वालियर में घूमने के लिए कितनी जगह है?

ग्वालियर में घूमने के लिए अनेक जगहें हैं जैसे कि ग्वालियर फोर्ट, जय विलास पैलेस, सास बहू मंदिर, गुजरी महल, और तानसेन मकबरा। ये स्थल इसकी विरासत और संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं।

ग्वालियर क्यों प्रसिद्ध है?

ग्वालियर अपने भव्य फोर्ट, राजसी पैलेस, संगीत समारोह, और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। इसकी विशेष मिठाई गजक और लजीज खानपान भी इसकी पहचान बन चुके हैं।

जबलपुर के पास अन्य घूमने की जगह?

जबलपुर के पास अन्य घूमने की जगह में मध्य प्रदेश, इंदौर, उज्जैन, भोपाल, इत्यादि शामिल है। इनके बारे में व्याख्या नीचे दी गई है।

मध्य प्रदेश  में घूमने की जगह

मध्य प्रदेश भारत के हृदय में स्थित है। मध्य प्रदेश में घूमने की जगह में की नाम शामिल है। यहाँ के खजुराहो के मंदिर अपनी अद्वितीय वास्तुकला और मूर्तिकला के लिए विश्वविख्यात हैं, जबकि भीमबेटका की गुफाएं प्रागैतिहासिक कला की अमूल्य झलक प्रदान करती हैं। मध्य प्रदेश में घूमने की जगह में बांधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग हैं, जबकि उज्जैन और ओमकारेश्वर जैसे पवित्र स्थल आध्यात्मिक खोज को बढ़ावा देते हैं। मांडू का ऐतिहासिक किला, सांची का स्तूप और ओरछा के भव्य महल और मंदिर राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं। मध्य प्रदेश की यह विविधता हर पर्यटक के लिए कुछ न कुछ खास पेश करती है।

उज्जैन में घूमने की जगह

उज्जैन में घूमने की जगह (Ujjain me ghumne ki jagah) कई रोमांचक स्थल हैं। प्रमुख आकर्षणों में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का मंदिर, राम घाट, काल भैरव मंदिर, कचोरी गली, और चंदनी चौक शामिल हैं। यहां आप पारंपरिक भारतीय संस्कृति और धार्मिक आध्यात्मिकता का अनुभव कर सकते हैं, साथ ही शहर की रचनात्मकता और विविधता का भी आनंद ले सकते हैं।

इंदौर में घूमने की जगह

इंदौर, मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक और औद्योगिक राजधानी है, जो मालवा पठार एवं सरस्वती नदी और खान नदी के किनारे पर स्थित है। यह शहर मध्य प्रदेश का एक व्यावसायिक नगर एवं भारत देश में स्वच्‍छता में नंबर वन है। 

इंदौर में घूमने के जगह (Indore me Ghumne ki Jagah) में लालबाग पैलेस, खजराना गणेश मंदिर, कांच मंदिर, राजवाड़ा पैलेस, पातालपानी झरना, अन्नपूर्णा मंदिर, सराफा बाजार, छप्पन दुकान, इत्यादि है। 

भोपाल में घूमने की जगह

भोपाल, मध्य प्रदेश की राजधानी, अपने सुंदर तालाबों, ऐतिहासिक स्थलों, और विविध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। भोपाल में घूमने की जगह में भोजताल या बड़ा तालाब, शहर के मध्य में स्थित, एक प्राकृतिक सौंदर्य प्रदान करता है और वाटर स्पोर्ट्स के लिए लोकप्रिय है। वन विहार नेशनल पार्क वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान है bhopal me ghumne ki jagah ke liye, जहाँ वे विभिन्न प्रजातियों के जीवों को निकट से देख सकते हैं। भारत भवन, एक बहुसांस्कृतिक कला केंद्र, आधुनिक और पारंपरिक कला का एक अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करता है। ऐतिहासिक महत्व के लिए, भोपाल का ताज-उल-मस्जिद और गोहर महल अवश्य देखने योग्य हैं। 

जबलपुर में घूमने की जगह 

जबलपुर, मध्य प्रदेश में स्थित, अपनी नैसर्गिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहां का भेड़ाघाट, मार्बल रॉक्स के लिए जाना जाता है, जो नर्मदा नदी के किनारे अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य प्रस्तुत करता है। दूसरा प्रमुख आकर्षण धुआंधार जलप्रपात है, जहाँ पानी की तीव्र गिरावट एक भव्य दृश्य बनाती है। जबलपुर में घूमने की जगह में मदन महल किला और बलानंद जू भी घूमने वाली प्रमुख जगहों में शामिल हैं, जो इतिहास और प्रकृति के प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।